ईस्ट इंडिया कंपनी

ईस्ट इंडिया कंपनी 

समय 31 दिसंबर 1600 AD  महारानी एलिजावेथ 1st ने एक कंपनी है जिसका नाम the governar and the company of merchent of landon tranding into the east  यह ईस्ट इंडिया कंपनी के फुल नाम है इसी कंपनी को महारानी ने 15 वर्ष के लिए पूर्वी देशों में व्यापार के लिए एकाधिकार दिया ब्रिटिश ब्रिटिश सम्राट जेम्स प्रथम ने इस अधिकार पत्र को अनिश्चितकालीन बना दिया|

इस कंपनी का उद्देश्य क्या था 
भारतीय व्यापार से लाभ प्राप्त करना 


ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत में विकास यात्रा 


  • 1608 में ब्रिटिश कंपनी का एक दूत कैप्टन हॉकिंस मुगल बादशाह जहांगीर के दरबार में ब्रिटिश सम्राट जेम्स फर्स्ट का पत्र लेकर उपस्थित हुआ| हॉकिंस ने मुगल बादशाह जहांगीर से फारसी भाषा में बात किया, बादशाह ने खुश होकर उसे खान की उपाधि दी| लेकिन सूरत में कंपनी का फैक्ट्री खोलने का अनुमति पुर्तगाली कंपनियों के विरोध के कारण प्राप्त नहीं हुआ| 
  • 1611 ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी अपना पहला आप फैक्ट्री गोलकुंडा राज्य में स्थित मसूलीपट्टनम नामक स्थान में स्थापित किया| 
  • 1613 सूरत पश्चिमी तट पर पहला बंदरगाह ब्रिटिश कंपनी का पहला फैक्ट्री एवं मुख्यालय| 
  • 1632 इस वर्ष ब्रिटिश कंपनी को गोलकुंडा के सुल्तान से एक फरमान प्राप्त हुआ जिसके अंतर्गत कंपनी को 500 पैगोडा वार्षिक किराया के बदले में गोलकुंडा के सारे बंदरगाहों से निशुल्क व्यापार करने की अनुमति प्राप्त हुई इस से गोल्डन फरमान के नाम से जाना जाता है|. 
  • 1639 इस वर्ष ब्रिटिश कंपनी का एक अधिकारी फ्रांसिस डे ने मद्रास को को पट्टे पर प्राप्त किया और उस संविदा के तहत उसने आधुनिक मद्रास शहर की स्थापना की और यहीं पर उसने st.fort george किलेबंदी की स्थापना की फ्रांसिस डे को आधुनिक मद्रास का संस्थापक भी कहा जाता है मद्रास की स्थापना के पश्चात बिहार बंगाल उड़ीसा तथा कोरोमंडल तट के सारे व्यापारिक बस्तियों का मुख्यालय महाराष्ट्र को बना दिया| 
  • 1651 बंगाल का सूबेदार साहसुजा जो मुगल बादशाह शाहजहां का पुत्र था ,की अनुमति से ब्रिटिश कंपनी को अपना पहला फैक्ट्री हुगली में स्थापित किया साहसुजा ने ₹3000 वार्षिक किराए के बदले बिहार बंगाल उड़ीसा में कंपनी को निशुल्क व्यापार करने की अनुमति प्रदान किया| 
  • 1672 बंगाल के सूबेदार शाइस्ता खान ने साहसुजा द्वारा पर प्रस्तावित अनुमति पत्र को पुनः अनुमोदन दे दिया 
  • 1692 इस वर्ष बंगाल बिहार एवं उड़ीसा में ब्रिटिश कंपनी को निशुल्क व्यापार करने की सुविधा को पुनः अनुमोदित कर दिया 
  • 1698 इस वर्ष बंगाल के सूबेदार अजीम-उस-शान के अनुमति से ब्रिटिश कंपनी को 3 गांव की जमीनदारी प्राप्त हुई |कलकाता, गोविंदपुर ,सुतानाती केवल 1200 रुपए में ब्रिटिश कंपनी को 3 गांव को जमीनदारी प्राप्त हुई और इन्हीं तीनों गांव को सम्मिलित करके ब्रिटिश अधिकारी जॉब चारनॉक ने आधुनिक कोलकाता शहर का स्थापित किया| और इसीलिए इसे आधुनिक कोलकाता का संस्थापक भी कहा जाता है| इसी नवीन वस्ति पर ब्रिटिश कंपनी ने fort blium नामक एक दुर्ग का स्थापना किया जो कालांतर में ब्रिटिश कंपनी के मुख्यालय के रूप में तब्दील हो गया| इस fort blium कब पहनना अध्यक्ष चार्ल्स आयर  को बनाया गया|
  • 1717 जॉन सरवन के नेतृत्व में एक ब्रिटिश दूत मंडल मुगल बादशाह फरुख्शियर के दरबार में आया|[1713] इस प्रतिनिधि मंडल में हैमिल्टन नामक एक चिकित्सक ने बादशाह को एक रोग से मुक्त करने में सहायता किया और इस से खुश होकर तथा अपने पूर्वगामी परंपराओं को अनुपालन करते हुए कंपनी के नाम उसने एक फरमान जारी किया जिसके निम्न बिंदु उल्लेखनीय है 
  • ब्रिटिश कंपनी बंगाल के दीवान के अनुमति से कोलकाता के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों को खरीद सकती है, 
  • इस फरमान के द्वारा ब्रिटिश कंपनी के निशुल्क व्यापार करने की सुविधा को बढ़ाकर गुजरात और दक्कन के क्षेत्र तक कर दिया गया 
  • हैदराबाद के क्षेत्र में कंपनी को निशुल्क व्यापार करने की अनुमति प्राप्त थी जबकि सूरत के क्षेत्र में ₹10000 वार्षिक किराए के बदले में कंपनी को निशुल्क व्यापार करने की अनुमति दिया गया| 
  • इस फरमान के तहत यह भी प्रावधान किया गया कि ब्रिटिश कंपनी अपने बम्बइ  स्थित टकसालो में डालें जाने वाली सिक्को को पूरे भारत में संचालित कर सकती है  | 


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और इसीलिए इतिहासकार ORMES ने इसे मैग्नाकार्टा कहां है" महा अधिकार पत्र"

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