पुर्तगाली

               

                                       पुर्तगाली 

  उद्देश्य 

 मसालों पर एकाधिकार स्थापित करना| 

इस टॉपिक से मुख है पैराग्राफ जो कि निम्न प्रश्नों के उत्तर के रूप में लिखे गए हैं, जैसे:-
 कंपनी पुर्तगाली का आगमन कब? किसके नेतृत्व में? कहां और इसका प्रभाव? 

- आगमन 1498 में पुर्तगालीक नाविक वास्कोडीगामा अपना पुर्तगालीक शासक हेनरी की संरक्षण में यात्रा की आरंभ किया|  केरल के मालाबार तट पर" कालीकट" में यही विदेशी व्यापारी करने आया, कालीकट का शासक  जोकि हिंदुस्तान का शासक जमोरिन था|
- 1498 में पुर्तगालीक नाविक वास्कोडिगामा पुर्तगालीक शासक उत्तमाशा आंतरिक चकोर लगाते हुए मालावार तट पर स्थित कालीकट नाम स्थान पर आया|
- यहां केरल का स्थानीय शासक जमोरिन जो उदारवादी था | और उसने वास्कोडिगामा का अपने दरबार में स्वागत किया| जबकि मलबार तट अरबी मुस्लिम व्यापारियों ने वास्कोडिगामा का विरोध किया|
2. भारत में पुर्तगालीक व्यापारी कंपनी का विकास क्रम जो कि निम्न है|
1498- वास्कोडिगामा आया|
1500- पेड्रो अल्वरेज कैब्रल[ दूसरा नागरिक जो कालीकट दरबार आया केवल व्यापारिक संभावना को तलाश कर के चला गया ]|
1502- वास्कोडिगामा पुनः भारत आया |
1503 - अल्बुकर्क एक छोटे समुंद्री दल के नेता के रूप में भारत यात्रा तथा कोच्चि में एक फैक्ट्री की स्थापना |                                           
      [ यह कोच्चि मालाबार तट पर है ]
इसके बाद

[1505-1509]- के बीच पहली बार फ्रांसिस्को  डी अल्मेडा { औपचारिक गवर्नर पहला}
और इस को माना जाता है शांत जल की नीति प्रतिपादक |  फ्रांसिस्को  डी अल्मेडा  ने ब्लू वाटर{blue water}      बिना इसकी अनुमति कोई भी नौसेना नहीं ले जा सकते अलग ले गए तो उसे डुबो देंगे नहीं उसे छीन लिया जाएगा}

शांत जल की नीति पुर्तगाली कंपनी की साम्राज्यवाद मनोनीत का संकेत है

  •  इस नीति का मुख्य उद्देश्य था कि एशियाई जलराशि पर अर्थात एशिया समुंद्र पर पुर्तगाली सैनिक श्रेष्टता को स्थापित करते हुए अपने व्यापारिक एकाधिकार को सुनिश्चित करना|
  • . इस निति के द्वारा पुर्तगाली कंपनी  कार्तेज आर्मेडा व्यवस्था के माध्यम से संचालित किया जाता है इसे ब्लू वाटर भी कहते हैं|                   

                   जिसके तहत कार्तेज  का तात्पर्य है, अनुमति पत्र जबकि आर्मेडा का तात्पर्य, उसकी नौसेना इसके शब्दों में इस व्यवस्था के तहत किसी भी गैर व्यक्ति या संस्था को पुर्तगाली कंपनी के क्षेत्र अधीन आने वाले समुंद्री क्षेत्रों में व्यापार करने के लिए पुर्तगालियों से..स्वीकृति. पत्र प्रदान करना पड़ता था जिसके लिए दो आवश्यक शर्त थी|

  • a. उस व्यापारिक जहाज पर मसालों का व्यापार नहीं होगा|
  • b. उस व्यापारिक जहाज में गोला बारूद का भी व्यापार नहीं होगा|

अल्फांसो डी अल्बुकर्क [1509-1515] 


  • - अल्बुकर्क भारत में पुर्तगाली साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था
  • - 1510 में इसके बीजापुर राज्य से { कर्नाटक क्षेत्र में} गोवा को छीन लिया{ पश्चिम तट मुंबई के नीचे}
  • - अल्बुकर्क को भारत में संसकृत सम्राज्यवाद को जिसके अंतर्गत संस्कृत साम्राज्यवाद को बढ़ावा देना था जिसके तहत उन्होंने यहां के  महिलाओं से शादी करने का आदेश पुर्तगाली शासकों को मिला, यह आदेश अल्बुकर्क ने दिया| इसलिए  की पुर्तगाली शासक को एक व्यापक सामाजिक आधार प्राप्त हो सके|
  • - अल्बुकर्क मुसलमानों के प्रति असहिषुणता के नीति को बढ़ावा दिया|
  • - कर्क में पुर्तगाली क्षेत्राधिकार में आने वाले प्रदेशों या क्षेत्र मैं सती प्रथा को निषेध किया|
  • -अल्बुकर्क से विजयनगर का महान शासक कृष्णदेव राय के साथ अच्छे संबंध थे| 

नीनो डी कुन्हा - [1529- 1538] के बीच आया 


[भारत में पुर्तगालियों का पहला मुख्यालय कहां था..???]
 उत्तर;- कोचिंग { दूसरा गोवा} किसने बनाया:
नीनो डी कुन्हा



  • 1. नीनू डी कुन्हा जो पुर्तगाली गवर्नर था, उसने कंपनी के मुख्यालय को कोचिंग से स्थांतरित करते हुए गोवा में स्थापित की|
  • 2. इसका समय पुर्तगाली कंपनी का पूर्वी तटों पर विस्तार शुरू हुआ, जैसे:- हुगली[ कोलकाता] चटगांव सत गांव इत्यादि[ क्षेत्र बंगाल के साथ बंगाल देश में भी है} जबकि दक्षिणी तटों  पर सेट थोमे{ तमिलनाडु में है}


भारत में पुर्तगाली कंपनियों का फैक्ट्री 

 कोचिंग, गोवा ,सूरत, हुगली, दमनदीप, साल्सेट बेसिन [ महाराष्ट्र], बम्बई

पुर्तगाली कंपनी के भारत में पतन के कारण



  • 1.ब्राजील के खोज हो जाने के बाद पुर्तगाली कंपनी का व्यापारिक अभिरुचि भारत के अपेक्षा ब्राजील ब्राजील में  ज्यादा हो गया|
  • 2. डच और ब्रिटिश कंपनी के सापेक्ष पुर्तगाली कंपनी अपनी व्यापारिक एवं नौसैनिक श्रेष्ठता में पिछड़ने लगी| जैसे:- हरमुज[ अंग्रेजों के हाथों में आ गया] मलक्का का क्षेत्र एवं श्रीलंका का क्षेत्र इन दोनों क्षेत्रों जोकि  पुर्तगाली के हाथों में था, और उसको डच छीन लिया|
  • 3. पुर्तगाली कंपनी के लूट पात की नीति भी इन के प्रति भारतीय लोगों में तथा यहां के सरकार ने इनके लिए कोई सहानुभूति पूर्ण आधार नहीं दे पाया| जैसे कि 1632 में मोहम्मद कासिम खा ने हुगली के व्यापारिक फैक्ट्री को अपने कब्जे में ले लिया| [VVI]
  • 4. 1662 में पुर्तगाली राजकुमारी कैथरीन का विवाह ब्रिटिश राजकुमार चार्ल्स द्वितीय के साथ हुआ 1662 में और इस विवाह के उपलक्ष में पुर्तगालियों ने बंबई को दहेज के रूप में ब्रिटिश कंपनी को सौंप दिया| चार्ल्स द्वितीय  ने 10 POND वार्षिक किराया के बदले इसे यानी कि मुंबई को ब्रिटिश कंपनी को सौंप दिया| यही मुंबई   ब्रिटिश मेरी मुंबई ब्रिटिश अधिकारी गेराल्ड अंगिया र के नेतृत्व में के नेतृत्व में एक आधुनिक शहर के रूप  में स्थापित हो गया जिसे गेराल्ड अंगियार को आधुनिक मुंबई का संस्थापक माना जाता है|
  • 5. 1739 में मराठों ने पुर्तगाली कंपनी से बेसिन और साल्सेट का क्षेत्र भी छीन लिया|
  • 6. पुर्तगालियों के धार्मिक प्रतिक्रियावादी उनकी कंपनी कमजोर होने के लिए जिम्मेदार थी| 



भारत में पुर्तगाली कंपनी का भारत में योगदान 




  • 1. प्रिटिंग प्रेस की शुरुआत 1556
  • 2. कुछ नवीन फसलों का प्रचलन इसमें से महत्वपूर्ण तंबाकू इसके अलावा लीची टमाटर आलू इत्यादि|
  • 3. गोथिक कला का प्रचलन[ यह कला मध्ययुगीन यूरोपीय कला है, जिसके अंतर्गत भवनों के निर्माण करने में रंगीन कांच का प्रयोग किया जाता है |
  • 4. भारत में सेट फ्रांसिस जेवियर के नेतृत्व में भारतीय इसाई चर्च की स्थापना हुआ|


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