कृषि का वाणिज्यीकरण

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1. भू राजस्व पद्धति2. कृषि का वाणिज्यिकरण3. भारतीय हस्तशिल्प उद्योगों का  विनाश  4. भारतीय भारतीय धन का निष्कासन5. भारत में रेलवे का विकास6. भारत में आधुनिक उद्योगों का विकास

7. भारत में अकाल[vvi]

कृषि का वाणिज्यीकरण/ व्यवसायिकरण/ बाजारीकरण 

क्या है 

कृषि का वाणिज्यीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत खाद्यान्न फसलों के स्थान पर बाजार आधारित फसलों को उपजाया जाता है ,जैसे:- कपास, तंबाकू
ब्रिटिश काल में कृषि का वाणिज्यीकरण एक नवीन परिघटना नहीं था, बल्कि इसकी पृष्ठभूमि में ही थी, जो कि ब्रिटिश साम्राज्य की आर्थिक हितों से जुड़ी थी|

 क्यों 

1. ब्रिटिश उद्योगों के लिए कच्चे माल की आवश्यकता
2. रेलवे का विकास
3. अपनी व्यापारिक गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए, भी सरकार ने कुछ वाणिज्यिक फसलों को प्रोत्साहन दिया|

कैसे 

1. फसल और 2. क्षेत्र में

1. फसल:- ब्रिटिश सरकार ने भारत में कृषि वाणिज्यकरण के अंतर्गत केवल उन्हें फसलों को चयन किया, जो उनके उद्योगिक और आर्थिक हितों से जुड़ी हो| जैसे:- अफीम तंबाकू रेशम,नील,गन्ना,चाय,इत्यादि|
2. क्षेत्र:-और इसी तरह ब्रिटिश कंपनी ने ऐसे फसलों के लिए अनुकूल फसलों वाला क्षेत्र भी चयन किया जैसे:-

  •         पूर्वी क्षेत्र- नील, चाय, रेशम 
  •          गुजरात- तंबाकू 
  •          महाराष्ट्र- बरार ... 

प्रभाव 

भारत के लिए सकरात्मक प्रभाव 

  1. कृषि के वाणिज्य करण ने भारत के विश्व समुदाय के अलगाव को समाप्त कर दिया अर्थात इसने भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व  के अर्थव्यवस्था से जोड़ दिया|
2. कृषि के वाणिज्यकरण की प्रक्रिया ने राष्ट्रीय कृषि के विकास को प्रोत्साहन दिया क्योंकि  कृषि की समस्या स्थानीय न होकर बाजार के साथ जुड़ने के माध्यम से अखिल भारतीय हो गई|
3. कृषि के वाणिज्य करण के तहत अनेक फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहन दिया गया, जिसके परिणाम स्वरुप भारतीय कृषि के स्वरुप में विभिनता आ गई | 

भारत के लिए नकारात्मक प्रभाव 


1.भारत में कृषि वर्गीकरण स्वतः जनित प्रक्रिया नहीं थी, और इसलिए इस प्रक्रिया के माध्यम से सरकार, व्यापारी, जमीदार, महाजन आदि से मिलकर एक ऐसा तंत्र उभर कर आ गया, जिसके द्वारा किसानों का शोषण होने लगा|
2. इस प्रक्रिया के तहत किसानों ने खाद्यान्न फसलों के तहत वाणिज्यिक फसलों को मान्याता दिया ,परिणाम स्वरुप अकाल आने परमें किसानों की मौत या किसानों की हानि, किसानों की दुर्दशा और बढ़ गई, क्योंकि एक तो इस प्रक्रिया से उन्हें प्रत्यक्ष लाभ नहीं हुआ और इस प्रक्रिया के कारण उनके घरों में अनाजों का भी अभाव होने लगा|

समीक्षा 


इस तरह कृषि का वाणिज्यिकरण का प्रक्रिया किसानों के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन लाने के उद्देश्य से प्रेरित नहीं थी, इसका उद्देश्य था "सरकार के राजस्व को समय पर चुकाना तथा महाजनों से लिए गए ऋण को चुकाना तथा ब्रिटेन कारखानों के लिए कच्चा माल प्रदान करना"

इसीलिए किसी इतिहासकार ने कहा है कि कृषि की वाणिज्यिकरण एक ऐसी प्रक्रिया की शुरुआत की जिसमें बाजार के गणेश गांव के लक्ष्मी का भाग निर्धारण करने लगी|
[बाजार का गणेश मतलब व्यापारी गांव के लक्ष्मी मतलब जमीन]


इससे जुड़े कुछ मुख्य प्रश्न 

ब्रिटिश काल में कृषि का वाणिज्यिकरण  एक नवीन घटना नहीं थी बल्कि एक नवीन प्रक्रिया थी ? 
                        or
कृषि का वाणिज्यिकरण का आशय क्या है और भारतीय अर्थव्यवस्था को इसने किस तरह प्रभावित किया?

  ब्रिटिश काल में भारतीय हस्तशिल्प उद्योगों का विनाश  click here 

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